शनिवार, 11 जनवरी 2025

गेहूं की फसल में होने वाले प्रमुख रोग और उनके उपचार

गेहूं की खेती में कई तरह के रोग फसल की उपज और गुणवत्ता को प्रभावित कर सकते हैं। यदि इन रोगों की पहचान समय पर कर ली जाए और उनका सही तरीके से उपचार किया जाए, तो नुकसान से बचा जा सकता है। यहां गेहूं की फसल में होने वाले मुख्य रोगों और उनके उपचार की जानकारी दी गई है।

गेहूं की फसल में होने वाले प्रमुख रोग और उनके उपचार


गेहूं की फसल में होने वाले प्रमुख रोग और उनके उपचार


1. पत्ती झुलसा रोग (Leaf Blight)


लक्षण:

पत्तियों पर भूरे रंग के धब्बे बनने लगते हैं।

रोग बढ़ने पर धब्बे बड़े होकर पूरी पत्ती को सुखा देते हैं।


उपचार:

बुवाई के समय बीज को थीरम या कैप्टान (2.5 ग्राम प्रति किलो बीज) से उपचारित करें।

रोग दिखने पर मैनकोज़ेब 2 ग्राम प्रति लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें।


2. करनाल बंट (Karnal Bunt)


लक्षण:

दानों के ऊपर काले रंग के धब्बे दिखाई देते हैं।

प्रभावित दाने सड़ने लगते हैं और बदबू आने लगती है।


उपचार:

प्रमाणित और रोगमुक्त बीज का उपयोग करें।

खेत की गहरी जुताई करें और बुवाई के लिए फसल चक्र अपनाएं।

बीज उपचार: बीज को कैप्टान या कार्बेन्डाजिम से उपचारित करें।


3. जड़ गलन रोग (Root Rot)


लक्षण:

पौधे की जड़ें सड़ने लगती हैं।

पौधे का विकास रुक जाता है, और वे पीले पड़कर सूखने लगते हैं।


उपचार:

खेत में जल निकासी का उचित प्रबंधन करें।

ट्राइकोडर्मा का 2 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर उपयोग करें।

बुवाई से पहले बीज को कार्बेन्डाजिम से उपचारित करें।


4. गेरुई रोग (Rust)


प्रकार:

पत्ती गेरुई (Leaf Rust)

तना गेरुई (Stem Rust)

पीली गेरुई (Yellow Rust)


लक्षण:

पत्तियों या तनों पर गेरुए या पीले रंग के धब्बे।

रोग बढ़ने पर पौधा कमजोर होकर सूखने लगता है।


उपचार:

रोग प्रतिरोधी किस्मों का उपयोग करें।

पहले लक्षण दिखने पर हेक्साकोनाज़ोल या प्रोपिकोनाज़ोल का 2 मि.ली. प्रति लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव करें।


5. चूर्णी फफूंदी (Powdery Mildew)


लक्षण:

पत्तियों और तनों पर सफेद पाउडर जैसा आवरण बनता है।

रोग बढ़ने पर पत्तियां झड़ने लगती हैं।


उपचार:

रोग दिखने पर सल्फर 2 ग्राम प्रति लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें।

पत्तियों को साफ रखने और खेत को हवादार बनाने पर ध्यान दें।


6. उकठा रोग (Wilt Disease)


लक्षण:

पौधे अचानक मुरझाने लगते हैं।

जड़ों में सूजन और सड़न हो जाती है।


उपचार:

खेत की सफाई और फसल चक्र का पालन करें।

बीज को ट्राइकोडर्मा के घोल से उपचारित करें।


7. ब्लास्ट रोग (Wheat Blast)


लक्षण:

फसल के कानों (spikes) पर भूरे-हरे धब्बे बनते हैं।

दाने भरने से पहले ही सूखने लगते हैं।


उपचार:

रोग प्रतिरोधी किस्मों का उपयोग करें।

ट्राइकोडर्मा आधारित जैविक उपचार अपनाएं।

फसल पर स्ट्रोबिलुरिन या ट्राईएज़ोल आधारित फफूंदनाशक का छिड़काव करें।


रोगों से बचाव के लिए सामान्य सुझाव

1. फसल चक्र (Crop Rotation):

गेहूं के बाद दलहनी फसलें (जैसे चना या अरहर) लगाएं।

2. संतुलित उर्वरक का उपयोग:

अधिक नाइट्रोजन का उपयोग रोग फैलने की संभावना बढ़ाता है।

3. साफ-सफाई:

पुराने पौधे के अवशेषों को खेत से हटाएं।

4. समय पर बुवाई:

सही समय पर बुवाई करने से कई रोगों से बचाव होता है।

5. बीज उपचार:

हमेशा प्रमाणित और उपचारित बीज का उपयोग करें।


गेहूं की फसल में रोग नियंत्रण के लिए समय पर पहचान और उचित उपाय जरूरी हैं। इन रोग प्रबंधन तरीकों से किसान अपनी उपज और लाभ को बढ़ा सकते हैं।

कोई टिप्पणी नहीं: